बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
:
व्यक्तिगत विभिन्नताऐं एवं विशिष्ट बालक
Individual Differences and Special Child
Hello
Friends, कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी ☺
दोस्तो
आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET
के लिए Child Development and Pedagogy (बाल
विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो
उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs
पर Child Development and Pedagogy के One Liner
Question and Answer के Notes उपलब्ध
कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे
CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET ,
REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child
Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं
के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा।
दोस्तो आज
हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं
शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्ट अन्तर्गत हम आपको व्यक्तिगत
विभिन्नताऐं एवं विशिष्ट बालक (Individual Differences and Special Child)
से संबंधित Most Important Question and Answer
को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए Download Button के माध्यम से आप
इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं।
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अधिगम में उन्नति पूर्ण सम्भव है – सिद्धान्त रूप
में
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‘An Introduction to Social Psychology’ नामक पुस्तक में ‘मूल प्रवृत्तियो के सिद्धान्त’ का प्रतिपादन सन् 1908 में किसने किया था – मैक्डूगल ने
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चिन्तन शक्ति का प्रयोग देने का अवसर देते है – तर्क, वाद-विवाद, समस्या-समाधान
·
बालक का समाजीकरण निम्नलिखित तकलीक से निर्धारित होता है – समाजमिति
तकनीक
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मूल प्रवृत्तियों में जिसका वर्गीकरण मौलिक और सर्वमान्य है, वह है – मैक्डूगल
·
समायोजन की विधियां है – उदात्तीकराण्, प्रक्षेपण,
प्रतिगमन
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समायोजन दूषित होता है – कुण्ठा से
व संघर्ष
से
·
एक समायोजित व्यक्ति की विशेषता नहीं है – वैयक्तिक उद्देश्यों
का प्रदर्शन
·
बालक के लिए मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए पाठ्यक्रम होना चाहिए – रुचियों के
अनुकूल
·
वैयक्तिक विभिन्नता का मुख्य कारण निम्नलिखित में से है – आयु एवं
बुद्धि का
प्रभाव
·
बालक को सीखने के समय ही जिस क्रिया को सीखना होता है, टेपरिकॉर्डर पर रिकॉर्ड करके उसका सम्बन्ध मस्तिष्क से कर दिया जाता है। यह कथन है – सुप्त अधिगम
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निम्न में से अधिगम की विधियां है – ये विधि
·
”अपनी स्वाभाविक त्रुटियों के कारण वैज्ञानिक विधि के रूप में निरीक्ष्ाण विधि अविश्वसनीय है।” यह कथन है – डगलस एवं
हालैण्ड का
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साक्षात्कार को माना जाता है – आत्मनिष्ठ विधि
·
साक्षात्कार मे कम-से-कम व्यक्तियों की संख्या होती है – दो
·
किसी उद्देश्य से किया गया गम्भीर वार्तालाप ही साक्षात्कार है। यह कथन है – गुड एवं
हैट का
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साक्षात्कार को समस्या समाधान के रूप में किस विद्वान ने परिभाषित किया है – जे. सी.
अग्रवाल ने
·
साक्षात्कार का स्वरूप होता है – विभिन्न प्रकार
का
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नैदानिक साक्षात्कार का प्रमुख उद्देश्य होता है – समस्या के
कारणों की
खोज, घटना
के कारणों
की खोज
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व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करने से पूर्व किया गया साक्षात्कार कहलाता हैं – नैदानिक साक्षात्कार
·
शोध साक्षातकार का उद्देश्य होता है – शोधकर्ता के
ज्ञान की
परीक्षा
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एक बालक को शिक्षक के द्वारा पढ़ने के लिए सलाह दी जाती है तथा पढ़ाई में आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार को माना जायेगा – परामर्श
साक्षात्कार
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निम्नलिखित में कौन-सी प्रविधि साक्षात्कार से सम्बन्धित है – निर्देशात्मक प्रविधि,
अनिर्देशात्मक प्रविधि
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साक्षात्कार का प्रथम सोपान है – समस्या की
जानकारी प्राप्त
करना।
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क्रो एण्ड क्रो के अनुसार साक्षात्कार का प्रयोग किया जाता है – निर्देशन में
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किस विद्वान ने साक्षात्कार को परामर्श की प्रक्रिया माना है – रूथ
स्ट्रैंग ने
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निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य साक्षात्कार की दशाओं से सम्बन्धित है – उचित वातावरण,
आत्मीय व्यवहार,
पर्याप्त समय
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ग्रीनवुड के अनुसार प्रयोग प्रभाव होता है – उपकल्पना का
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उपकल्पना का निर्माण प्रयोग का सोपान है – द्वितीय
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”चर वह लक्षण या गुण है जो विभिन्न प्रकार के मूल्य ग्रहण कर लेता है।” यह कथन है – पोस्टमैन का
तथा ईगन
का
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प्रयोग के परिणाम में जांच होती है – उपकल्पना की
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विवरणात्मक विधि में तथ्य या घटनाओं को एकत्रित किया जाता है – विवरणात्मक रूप
में
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विकासात्मक पद्धति का द्वितीय नाम है – उत्पत्तिमूलक विधि
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गर्भावस्था से किशोरावस्था तक बालकों की वृद्धि एवं विकास का अध्ययन सम्बन्धित है – विकासात्मक विधि
से
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मानसिक उपचारों एवं बौद्धिक अवनति से सम्बन्धित तथ्यों का अध्ययन करने वाली विधि को किस नाम से जाना जाता है – उपचारात्मक विधि
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गिलफोर्ड द्वारा चिन्तन का माना गया है – प्रतीकात्मक व्यवहार
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वैलेन्टाइन ने चिन्तन को स्वीकार किया है – श्रृंखलाबद्ध विचारों
के रूप
में
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गैरेट के अनुसार चिन्तन है – रहस्यपूर्ण व्यवहार
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गैरेट चिन्तन में प्रतीकों के अन्तर्गत सम्मिलित करता है – बिम्बों को,
विचारों को,
प्रत्ययों को
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चिन्तन है – संज्ञानात्मक
क्रिया
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चिन्तन की आवश्यकता होती है – समस्या समाधान
के लिए
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एक बालक कक्षा में अमर्यादित व्यवहार करता है तो शिक्षक को उसकी गतिविधि के आधार पर उसके बारे में करना चाहिए – चिन्तन एवं
विचार
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परीक्षा में सही प्रश्न का उत्तर याद करने के लिए छात्रों द्वारा की जाती है – चिन्तन
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निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य चिन्तन के साधनों से सम्बन्धित है – प्रतिमा, प्रत्यय,
प्रतीक
·
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य चिन्तन के साधनों से सम्बन्धित नहीं है – प्रतीक
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कक्षा में बालक शहीद भगत सिंह की प्रतिमा को देखकर चिन्तन करता है तो वह चिन्तन के किस साधन का प्रयोग करता है – प्रतिमा
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शिक्षक द्वारा क से कलम तथा अ से अनार बताया जाता है तो छात्र कलम एवं अनार के बारे में चिन्तन करता है। शिक्षक द्वारा चिन्तन की प्रक्रिया में चिन्तन के किस साधन का प्रयोग किया गया – प्रत्यय
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+ के चिन्ह को देखकर छात्र इसके विभिन्न पक्षों पर चिन्तन प्रारम्भ कर देता है। इसका यह प्रयास चिन्तन के किस साधन का प्रयोग माना जायेगा – प्रतीक एवं
चिन्ह
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एक छात्र अपने शिक्षक को देखकर उसके गुण एवं व्यवहार के बारे में चिन्तन करने लगता है, चिन्तन का यह स्वरूप कहलायेगा – प्रत्यक्ष चिन्तन
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एक बालक कक्षा अध्यापक को देखकर कहता है कि सर आ गये बालक के चिन्तन का यह स्वरूप कहलायेगा – प्रत्यक्षात्मक चिन्तन
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किस शिक्षा शास्त्री ने विचारात्मक चिन्तन को ही प्रमुख रूप से स्वीकार किया है – फ्रॉबेल ने
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एक शिक्षक गृहकार्य न करने वाले छात्रों के बारे में पूर्ण चिन्तन करने के बाद उनको गृहकार्य करके लाने में प्रेरित करते हुए इस समस्या का समाधान करता है उसका यह चिन्तन माना जायेगा – विचारात्मक चिन्तन
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विभिन्न प्रकार के शैक्षिक अनुसन्धान एक आविष्कार से सम्बन्धित चिन्तन को सम्मिलित किया जा सकता है – सृजनात्मक चिन्तन
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चित्त की योग्यता निर्भर करती है – बुद्धि पर
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