बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
- बाल विकाश का परिचय
Introduction to Child Development
Hello
Friends, कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी ☺
दोस्तो
आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET
के लिए Child Development and Pedagogy (बाल
विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो
उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs
पर Child Development and Pedagogy के One Liner
Question and Answer के Notes उपलब्ध
कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे
CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET ,
REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child
Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं
के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा।
दोस्तो आज
हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं
शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्ट अन्तर्गत हम आपको बाल
विकाश का परिचय (Introduction
to Child Development) से संबंधित Most
Important Question and Answer को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए
Download Button के माध्यम से आप
इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं।
·
बालक के विकास की प्रक्रिया कब शुरू होती है – जन्म से
पूर्व
·
विकास की प्रक्रिया – जीवन पर्यन्त
चलती है।
·
सामान्य रूप से विकास की कितनी अवस्थाएं होती हैं – पांच
·
”वातावरण में सब बाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।” यह परिभाषा किसकी है – वुडवर्थ की
·
”वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है –
बी.एन.झा
का
·
बंशानुक्रम के निर्धारक होते हैं – जीन्स
·
कौन-सी विशेषता विकास पर लागू नहीं होती है – विकास को
स्पष्ट इकाइयों
में मापा
जा सकता
है।
·
शैशव काल का नियत समय है – जन्म से
5-6 वर्ष तक
·
बालक की तीव्र बुद्धि का विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है – विकास सामान्य
से तीव्र
होता है।
·
विकास एक प्रक्रिया है – निरन्तर
·
बाल्यावस्था में मस्तिष्क का विकास हो जाता है : – 90 प्रतिशत
·
अन्तर्दर्शन विधि में बल दिया जाता है – स्वयं के
अध्ययन पर
·
बालक को आनन्ददायक सरल कहानियों द्वारा नैतिक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। यह कथन है – कोलेसनिक का
·
विकास के सन्दर्भ में मैक्डूगल ने – मूल प्रवृत्यात्मक
व्यवहार का
विश्लेषण किया।
·
जब हम किसी भी व्यक्ति के विकास के विषय में चिन्तन करते हैं तो हमारा आशय – उसकी कार्यक्षमतासे
होता है,
उसकी परिपक्वता
से होता
है, उसकी
शक्ति ग्रहण
करने से
होता है।
·
संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्था
·
वृद्धि और विकास है – एक-दूसरे
के पूरक
·
चारित्रिक विकास का प्रतीक है – उत्तेजना
·
विकासात्मक पद्धति को कहते हैं – उत्पत्ति मूलक
विधि
·
मानसिक विकास के लिए अध्यापक का कार्य है – बालकों को
सीखनेके पूरे-पूरे अवसर
प्रदान करें।
छात्र-छात्राओं
के शारीरिक
स्वास्थ्य की
ओर पूर-पूरा ध्यान
दें। व्यक्तिगत
भेदों की
ओर ध्यान
देते हुए
उनके लिए
समुचित वातावरण
की व्यवस्था
करें।
·
वाटसन ने नवजात शिशु में मुख्य रूप से किन संवेगों की बात कही है – भय, क्रोध
व स्नेह
·
किशोरावस्था की मुख्य समस्याएं हैं – शारीरिक विकास
की समस्याएं,
समायोजन की
समस्याएं, काम
और संवेगात्मक
समस्याएं
·
शैशवावस्था है – जन्म
से 7 वर्ष
तक
·
शिशु का विकास प्रारम्भ होता है – गर्भकाल में
·
बाल्यावस्था के लिए पर्याप्त नींद होती है – 8 घण्टे
·
बालिकाओं की लम्बाई की दृष्टि से अधिकतम आयु है – 16 वर्ष
·
बालक के विकास को जो घटक प्रेरित नहीं करता है, वह है – वंशानुक्रम या वातावरण दोनो ही नहीं
·
किसके विचार से शैशवावस्था में बालक प्रेम की भावना, काम प्रवृति पर आधारित होती है – फ्रायड
·
रॉस ने विकास ने विकास क्रम के अन्तर्गत किशोरावस्था का काल निर्धारित किया है – 12 से 18 वर्ष
तक
·
किशोरावस्था की प्रमुख विशेषता नहीं हैं – मानसिक विकास
·
बालकों के विकास की किस अवस्था को सबसे कठिन काल के रूप में माना जाता है – किशोरावस्था Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
·
उत्तर बाल्याकाल का समय कब होता है – 6 से 12 वर्ष
तक
·
बाल्यावस्था की प्रमुख विशेषता नहीं है – अन्तर्मुखी व्यक्तित्व
·
संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्था
·
विकासवाद के समर्थक हैं – डिके एवं
बुश, गाल्टन,
डार्विन
·
विकास का तात्पर्य है – वह प्रक्रिया
जिसमें बालक
परिपक्वता की
ओर बढ़ता
है।
·
Age of Puberty कहलाता है – पूर्ण
किशोरावस्था
·
व्यक्ति के स्वाभाविक विकास को कहते है – अभिवृद्धि
·
बालक के विकास की प्रक्रिया एवं विकास की शुरूआत होती है – जन्म से
पूर्व
·
”विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रकट होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
·
शैक्षिक दृष्टि से बाल विकास की अवस्थाएं है – शैशवावस्था, बाल्यावस्था,
किशोरावस्था
·
स्किनर का मानना है कि ”विकास के स्वरूपों में व्यापक वैयक्तिक भिन्नताएं होती हैं। यह विचार विकास के किस सिद्धांत के संदर्भ में हैं – व्यक्तिगत भिन्नता
का सिद्धान्त
·
मनोविश्लेषणवाद (Psyco Analysis) के जनक थे – फ्रायड
·
”मुझे बालक दे दीजिए। आप उसे जैसा बनाना चाहते हों, मैं उसे वैसा ही बना दूंगा।” यह कहा था – वाटसन ने
·
सिगमण्ड फ्रायड के अनुसार, निम्न में से मन की तीन स्थितियों हैं – चेतन, अद्धचेतन,
अचेतन
·
इड (ID), ईगो (Ego), एवं सुपर इगो (Super Ego)
को मानव की संरचना का अभिन्न भाग मानता है – फ्रायड
·
केवल दो प्रकार की मूल प्रवृत्ति है – मृत्यु एवं जीवन। यह विचार है – फ्रायड
·
रुचियों, मूल प्रवृत्तियों एवं स्वाभाविक संवेगों का स्वस्थ विकास हो सकता है यदि – वातावरण जिसमें
वह रहता
है, स्वस्थ
हो
·
मूल प्रवृत्ति की प्रमुख विशेषता पायी जाती है – समस्त प्राणियों
में पायी
जाती है,
यह जन्मजात
एवं प्रकृति
प्रदत्त होती
है।
TAG
– Child Development and Pedagogy in Hindi , Education Psychology in Hindi
PDF, Learning In Hindi PDF, CTET
Notes in Hindi PDF , Vyapam Samvida Teacher , HTET , REET , Bal Vikas Shiksha
Shastra Notes Download PDF, Bal Vikas Question Answer in Hindi PDF
, Introduction to Child Development , Child Development Notes for
CTET in Hindi PDF, Child Development Notes for VYAPAM , Child Development
and Pedagogy Notes for MP Samvida Shikshak , Child Development and Pedagogy Notes
in Hindi for UPTET Download Free PDF, Child Development and Pedagogy PDF in
Hindi, CTET / MPTET / UPTET /Bihar TET 2018 Notes in Hindi Download PDF.
यह बेवसाइट आपकी सुविधा के लिये बनाई गयी है, हम इसके बारे में आपसे उचित राय की अपेक्षा रखते हैं, कृप्या अपनी राय हमें Comments या Messages के माध्यम से जरूर दें।
धन्यवाद ।।