बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
— व्यक्तित्व एवं समायोजन
Child Development and Pedagogy — Personality and
Adjustment
Hello
Friends, कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी ☺
दोस्तो
आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET
के लिए Child Development and Pedagogy (बाल
विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो
उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs
पर Child Development and Pedagogy के One Liner
Question and Answer के Notes उपलब्ध
कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे
CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET ,
REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child
Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं
के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा।
दोस्तो आज
हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं
शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्ट अन्तर्गत हम आपको व्यक्तित्व
एवं समायोजन (Personality and Adjustment) से
संबंधित Most Important Question and Answer
को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए Download Button के माध्यम से आप
इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं।
·
प्रेरणा के स्रोत हैं –चालक, प्रेरक,
उद्दीपन
·
प्रेरणा का प्रमुख स्थान है – सीखने में,
लक्ष्य की
प्राप्ति में,
चरित्र निर्माण
में
·
प्रेरणा होती है – सकारात्मक व
नकारात्मक
·
अभिप्रेरणा द्वारा व्यवहार किया जाता है – दृढ़
·
जो प्रेरक सीखे जाते हैं, उसे कहते हैं – अर्जित प्रेरक
·
बाह्य प्रेरणा को कहते हैं – नकारात्मक प्रेरणा
·
अर्जित प्रेरक के अन्तर्गत आते हैं – जीवन लक्ष्य
व मनोवृत्तियां,
मद-व्यसन,
आदत की
विवशता
·
बहिर्मुखी बालक की विशेषता नहीं है – आक्रामक
·
यह वह शक्ति है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने सम्बन्ध जानता है कि वह क्या है तथा दूसरे व्यक्ति उसके बारे में क्या सोचते हैं – इस शक्ति का नाम क्या है – आत्मचेतना
·
कैटिल ने व्यक्तित्व के प्राथमिक शील गुण बताए हैं – बारह
·
वातावरण का निम्न में से कौन-सा प्रकार नहीं है – व्यक्ति व
उसका स्वयं
का व्यक्तित्व
·
व्यक्ति का जन्मजात प्रेरक है – ऐवरिल का
·
”प्रेरणा, कार्य को आरम्भ करने, जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है।” यह कथन किसका है – गुड का
·
मोटिवेशन(Motivation) शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के शब्द से हुई है – लैटिन
·
किसकी क्रियाशीलता का सम्बन्ध मनुष्य की पाचन क्रिया से भी होता है – सर्वकिंवी ग्रन्थि
·
आकर्षक व्यक्तित्व हमें सतत अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहता है – वातावरण के
साथ समायोजन,
आत्मचेतना व
सामाजिकता, ध्येय
की ओर
अग्रसर होना,
इनमें से
कोई नहीं
·
जैविकीय कारकों को किन भागों में बांटा जा सकता है – शरीर रचना
व नलिकाविहीन
ग्रन्थियां
·
व्यक्तित्व शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक क्रियाओं का एक रूप है, जो – जो गत्यात्मक
संगठन है।
·
निम्नांकित पद्धति व्यक्तिगत भेद को ध्यान में नहीं रखकर शिक्षण में प्रयुक्त की जाती है – व्याख्यान पद्धति
·
मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोणके अन्तर्गत – इदम्, अहम्,
परम अहम्
·
जिन तथ्यों का निर्धारण किया जाता है और उनका सार निकालकर संख्यात्मक रूप में व्यक्त करना कहलाता है – निर्धारण मान
·
जब किसी व्यक्ति का अवलोकन निश्चित परिस्थितियों में ही किया जाता है, तो वह कहलाता है – नियन्त्रित अवलोकन
·
बालकों के सीखने में प्रेरणा को किस रूप में उपयोगी माना जाता है – पुरस्कार एवं
दण्ड
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”सत्य अथवा तथ्यों के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रिया का बल ही बुद्धि है।” बुद्धि की यह परिभाषा है – थार्नडाइक की
·
बालक को दाएं-बाएं का ज्ञान हो जाता है – 6 वर्ष की
आयु में
·
बुद्धिलब्धि का सम्बन्ध है – बुद्धि से
·
बुद्धिलब्धि को ज्ञात करने का सूत्र किस मनोवैज्ञानिक ने दिया है – स्टर्न ने
·
सूक्ष्म तथा अमोघ प्रश्नों का चिन्तन तथा मनन द्वारा हल करती है – अमूर्त बुद्धि
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निम्नांकित में से कौन-सा परीक्षण निष्पादन परीक्षण है – आकृतिफलक परीक्षण,
भूलभुलैया परीक्षण,
एवं वस्तु
संयोजन
·
सांवेगिक स्थिरता में किस वस्तु के प्रति निर्वेद अधिगम को बढ़ाते हैं – साहस, जिज्ञासा,
भौतिक वस्तु
·
कोई व्यक्ति डॉक्टर बनने की योग्यता रखता है तो कोई व्यक्ति शिक्षक बनने की योग्यता। यह किस कारण से होती है – अभिरुचि के
कारण
·
एक बालककी बुद्धिलब्धि 150 है, तो वह बालक है – प्रतिभाशाली बालक
·
बुद्धिलब्धि के लिए विशिष्ट श्रेय किस मनोवैज्ञानिक को जाता है – स्टर्न को
·
सामान्य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्था में बोलना सीख जाता है – 11 माह
·
बुद्धि के सिद्धान्त है – द्वि-तत्व
सिद्धान्त, असत्तात्मक
सिद्धान्त, क्रमिक
महत्व का
सिद्धान्त
·
विकास से अभिप्राय है – शारीरिक, मानसिक
तथा व्यावहारिक
संगठन, वातावरण
से सम्बन्धित,
जीवन-पर्यन्त
सम्भव
·
वृद्धि से अभिप्राय है – शारीरिक एवं
व्यावहारिक परिवर्तन,
शारीरिक एवं
मानसिक परिपक्वता,
निश्चि आयु
के पश्चात
रुकना
·
अमूर्त बुद्धि, सामाजिक बुद्धि या यान्त्रिक बुद्धियह तीनोंबुद्धि के प्रकार किस मनोवैज्ञानिक ने बताए हैं – थार्नडाइक ने
·
”ऐसी समस्याओं को हल करने की योग्यता जिनमेंज्ञानऔर प्रतीकों को समझने और प्रयोग करने की आवश्यकता हो, जैसे – शब्द, अंक, रेखाचित्र, समीकरण और एकसूत्र, ही बुद्धि है।” यह कथन कहा है – एच. ई.
गैरेट ने
·
संक्रियाओं के आधार पर बौद्धिक योग्यता है – संज्ञान व
स्मृति, अपसारी
चिन्तन, अभिसारी
चिन्तन
·
सामाजिक बुद्धि में थॅर्नडाइक ने क्या माना है – सद्भाव
·
”निर्णय, सद्भावना, उपकरण, समझने की योग्यता, युक्तियुक्त तर्क और वातावरण में अपने को व्यवस्थित करने की शक्ति ही बुद्धि है।” यह कथन है – बिने और
साइमन का
·
द्विखण्ड बुद्धि के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया– स्पीयनमैन ने
·
”बुद्धि कार्य करनेकी एक विधि है।” यह कथन है – बुडवर्थ का
·
”बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है।” यह कथन है – गाल्टन का
·
बुद्धि का त्रिआयामी सिद्धान्त किसने दिया था – स्पीयरमैन ने
·
वैश्लर ने निम्नलिखित में से किन योग्यताओं को सम्मिलित किया है – वातावरण को
प्रभावशाली ढंग
से व्यवहार
करने की
योग्यता, तर्कपूर्ण
चिन्तन
की योग्यता,
उद्देश्यपूर्ण कार्य
करने की
योग्यता
·
यदि किसी बालक की शारीरिक आयु 10 वर्ष तथा मानसिक आयु 13 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि क्या होगी – 130
·
”बुद्धि वह शक्ति है जो हमको समस्याओं का समाधान करने और उद्दश्यों को प्राप्त करने की क्षमता देती है।” यह कथन है – क्रानबेक का
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