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ऊंट और सियार (गीदङ) की कहानी//THE CAMEL AND THE JACKAL STORY IN MARWARI LANGUAGE//PANCHTANTRA MORAL STORIES IN HINDI 2022

 ऊंट और सियार की कहानी - 

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एक बार एक जंगल में ऊंट, सियार एवं अन्य सभी प्रकार के जानवर रहते थे लेकिन उनमें से ऊंट और सियार के बीच में घनिष्ठ मित्रता थी। तो सियार को जंगल के पास एक तालाब के किनारे तरबूज का खेत दिखाई देता है और तरबूज के खेत को देखकर सियार के आंखों में पानी आ जाता है तब वह अपने मित्र ऊंट से से प्रार्थना करता है की प्रिय मित्र ऊंट मुझे उस तालाब के पास एक तरबूज का खेत दिखाई दिया है हम दोनों ही उस तरबूज के खेत में तरबूज खाने के लिए चलेंगे। तब ऊंट और गीदड़ वहां से उस खेत की ओर चल देते हैं और तरबूजे को देखकर ऊंट के मुंह में पानी आ जाता है तो सियार उस तालाब को पार नहीं कर सकता था तब इतने मे ऊंट ने उसकी सहायता की |

ऊंट और सियार की कहानी

और उस तालाब को पार करवाने में सहयोग किया। तो ऊंट और गीदड़ दोनों ही उस तरबूज के खेत में जल्दी-जल्दी तरबूज को खाने लगते हैं। और जब गीदड़ का पेट तरबूजो की गिरी से भर जाता है तो वह जोर-जोर से चिल्लाने लग जाता है लेकिन उंट उस वक्त पूरी तरह अपनी भूख को संतुष्ट नहीं कर चुका था। तो जब गीदड़ जोर जोर से चिल्लाया तो उसी वक्त खेत की मालिक को उसकी आवाज सुनाई दे देती हैं । तो खेत का मालिक अपने खेत में पहुंच जाता है और ऊंट उसी वक्त पकड़ा जाता है लेकिन गीदड़ एक पेड़ के पीछे छुप जाता है और ऊंट की उसी वक्त खेत का मालिक पिटाई करते करते उस खेत से बाहर धकेल देता है तभी गीदड़ उसी पेड़ के पीछे से चुपके से निकलकर खेत से बाहर चला जाता हैं। और तभी ऊंट और सियार खेत के बाहर मिलते हैं तभी ऊंट सियार से पूछता है कि तुम उसी वक्त खेत में क्यों चला रहा था तभी सियार कहता है कि जब मेरी भूख मिट जाती हैं तो मेरी उसके बाद ऐसी करने की आदत है। तब ऊंट को जबरदस्त गुस्सा आ जाता है और तब सियार ऊंट से नदी पार करवाने की प्रार्थना करता है। तभी ऊंट उसे बहकावे में लाकर अपनी पीठ पर बैठा लेता है और उस नदी की ओर चल देता है और नदी के बीच में जाने के बाद ऊंट लेट लेट करने लगता है और सियार डर के कांपे रोने लग जाता है और ऊंट से प्रार्थना करता है कि भाई मेरे को बहुत डर लग रहा है तो तभी ऊंट कहता है कि मेरे ही ऐसे ही लेट लेट आने की आदत है तो आज की कहानी का सेशन यहीं समाप्त होता है ।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि - 

 संदेश -    कर्म का फल तो भोगना ही पड़ता है जैसा बोओगे वैसा पाओगै |

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